गुरू नानक जयंती - गुरू नानक जी के जीवन के अनछुए पहलु, उनकी शिक्षाएं और कार्तिक पूर्णिमा उत्सव
✒️ लेखक : R. F. Tembhre Views: 353 प्रकाशन: 05 Nov 2025    अद्यतन: अद्यतन नहीं किया गया

गुरू नानक जयंती - गुरू नानक जी के जीवन के अनछुए पहलु, उनकी शिक्षाएं और कार्तिक पूर्णिमा उत्सव

गुरु नानक जयंती - गुरू नानक जी के जीवन के अनछुए पहलु, उनकी शिक्षाएं और कार्तिक पूर्णिमा उत्सव

सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु, गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक माह की पूर्णिमा को हुआ था, जिसे अब गुरु नानक जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा उत्सव के साथ मिलकर एक अद्वितीय धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। यह केवल एक जयंती नहीं, बल्कि एक ऐसे आध्यात्मिक पथ-प्रदर्शक के जीवन और शिक्षाओं को याद करने का अवसर है, जिन्होंने अपने उपदेशों से मानवता को एक नई दिशा दी।

गुरु नानक देव जी का जन्म सन् 1469 में तलवंडी (जो अब पाकिस्तान में ननकाना साहिब कहलाता है) नामक स्थान पर हुआ था। बचपन से ही उनमें आध्यात्मिकता और चिंतन की गहरी रुचि थी। उनके जीवन के अनछुए पहलु दर्शाते हैं कि उन्होंने पारंपरिक रूढ़ियों को अस्वीकार कर, एक ऐसे धर्म का स्वरूप स्थापित किया, जो सार्वभौमिक प्रेम और समानता पर आधारित है।


गुरु नानक देव जी के जीवन के अनछुए पहलु

सच्चा सौदा: युवावस्था में, उनके पिता ने उन्हें व्यापार के लिए कुछ धन दिया। गुरु नानक जी ने उस धन से भूखे साधुओं को भोजन करा दिया और घर आकर कहा कि उन्होंने 'सच्चा सौदा' किया है। यह घटना दर्शाती है कि उनके लिए धन-दौलत से ज्यादा महत्व मानव सेवा का था।

जल अर्पण का खंडन: उन्होंने तीर्थयात्रियों द्वारा सूर्य को जल अर्पित करने की प्रथा पर सवाल उठाया। जब लोगों ने उनसे पूछा, तो उन्होंने विपरीत दिशा में जल डालना शुरू कर दिया और कहा कि अगर उनका जल सूर्य तक पहुँच सकता है, तो उनका जल उनके खेतों तक क्यों नहीं पहुँच सकता? यह उनकी तथ्य परख और तार्किक सोच को दिखाता है।

भाई मरदाना और यात्राएं (उदासी): उन्होंने लगभग 25 वर्षों तक अपने साथी भाई मरदाना के साथ भारत और विदेशों में व्यापक यात्राएं कीं, जिन्हें उदासी कहा जाता है। इन यात्राओं का उद्देश्य लोगों को प्रेम, एकता और ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति का संदेश देना था। यह उनके कर्मों के फल और निस्वार्थ सेवा का प्रतीक है।


गुरु नानक जी की शिक्षाएं: तीन मूलभूत सिद्धांत

गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं सरल, स्पष्ट और मानव जीवन के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं। उनकी मुख्य शिक्षाओं को तीन स्तंभों में संक्षेपित किया जा सकता है:

1. नाम जपना (ईश्वर का स्मरण): उन्होंने एक परमपिता परमेश्वर में विश्वास पर जोर दिया, जो निराकार और सर्वव्यापी है। उनका कहना था कि निरंतर भगवान के नाम का जाप करना ही विचलित अर्थात अशांत मन को शांति और प्रसन्नता दिला सकता है।

2. किरत करना (ईमानदारी से कमाना): गुरु जी ने ईमानदारी से श्रम करने और अपना जीवन यापन करने के महत्व पर जोर दिया। किसी भी व्यक्ति को आलस्य में असफल नहीं होना चाहिए, बल्कि ईमानदारी से कार्य करना चाहिए।

3. वंड छकना (बाँट कर खाना): इसका अर्थ है अपनी आय और संसाधनों को जरूरतमंदों के साथ साझा करना। यह सेवा और दान की भावना को बढ़ावा देता है, जो सामाजिक समानता के लिए आवश्यक है।


कार्तिक पूर्णिमा उत्सव का महत्व

गुरु नानक जयंती हमेशा कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है, जो हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह की पंद्रहवीं तिथि है। कार्तिक पूर्णिमा का भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म में विशेष महत्व है।

देव दीपावली: इस दिन को 'देव दीपावली' के रूप में भी जाना जाता है, जब माना जाता है कि देवतागण पृथ्वी पर आते हैं और दीपावली मनाते हैं। इस अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान करने और दीपक जलाने का वैज्ञानिक कारण एवं आध्यात्मिक महत्व है।

गुरुपर्व का उत्सव: गुरु नानक जयंती को गुरुपर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गुरुद्वारों को रोशनी से सजाया जाता है, प्रभात फेरियां निकाली जाती हैं, और अखंड पाठ (गुरु ग्रंथ साहिब का निरंतर पाठ) होता है। सामुदायिक लंगर (मुफ्त भोजन) का आयोजन किया जाता है, जो समानता और एकता के सिद्धांत को दर्शाता है।


गुरु नानक देव जी का अंतिम संदेश

गुरु नानक देव जी ने अपने संदेशों और जीवन से ब्रह्मांड और जीवात्मा का संबंध तथा धर्म का सही स्वरूप समझाया। उन्होंने मूर्ति पूजा, जातिवाद और अंधविश्वासों का विरोध किया। उनका मूल मंत्र था: "एक ओंकार" (ईश्वर एक है)। उनकी शिक्षाएं आज भी दुनिया को प्रेम, शांति और भाईचारे का पाठ पढ़ाती हैं।

आज, गुरु नानक जयंती हमें उनके बताए ज्ञान और प्रेरणा के मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करती है, ताकि हम एक सामंजस्यपूर्ण समाज का निर्माण कर सकें।

आशा है, उपरोक्त जानकारी ज्ञानवर्धक लगी होगी।
लेखक
Samajh.MyHindi

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