धन तेरस आखिर है क्या और यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है? | धनतेरस क्या है? धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व
✒️ लेखक : R. F. Tembhre Views: 1,198 प्रकाशन: 18 Oct 2025    अद्यतन: अद्यतन नहीं किया गया

धन तेरस आखिर है क्या और यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है? | धनतेरस क्या है? धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व

धन तेरस: आरोग्य, समृद्धि और मंगल का महापर्व


धन तेरस, जिसे 'धनत्रयोदशी' के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह पांच दिवसीय दीपोत्सव (दीपावली) का पहला दिन होता है। यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। 'धन' का अर्थ है संपत्ति या धन और 'तेरस' का अर्थ है तेरहवाँ दिन। यह दिन धन, आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।


I. धार्मिक और पौराणिक महत्व (Religious and Mythological Significance)

धनतेरस का धार्मिक महत्व कई पौराणिक कथाओं और मान्यताओं से जुड़ा हुआ है:

१. भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य

        
  • मूल कथा: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि इसी दिन अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।
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  • महत्व: भगवान धन्वंतरि को देवताओं का वैद्य (चिकित्सक) माना जाता है और उन्हें आयुर्वेद का जनक भी कहा जाता है। इसलिए, धनतेरस के दिन इनकी पूजा करने से व्यक्ति को आरोग्य, दीर्घायु और स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।
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  • तथ्यात्मक जानकारी: भारत सरकार ने धनतेरस को 'राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस' के रूप में मनाने का भी निर्णय लिया है।

२. माँ लक्ष्मी और कुबेर की पूजा 

        
  • जन्म: माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान ही धन की देवी माँ लक्ष्मी का भी प्राकट्य हुआ था। इसीलिए धनतेरस पर लक्ष्मी जी की पूजा का भी विशेष विधान है।
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  • कुबेर की आराधना: इस दिन धन के देवता कुबेर की भी विशेष रूप से पूजा की जाती है। भगवान कुबेर को धन-संपत्ति का रक्षक माना जाता है। उनकी आराधना से घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती।

३. यम दीपम (यमराज को दीपदान)

        
  • कथा: धनतेरस से जुड़ी एक लोक कथा राजा हिम के पुत्र की है, जिसकी मृत्यु का कारण विवाह के चौथे दिन सर्प दंश से होनी निश्चित थी। उसकी पत्नी ने मृत्यु के देवता यमराज को रोकने के लिए अपनी चतुराई से पूरे कक्ष को सोने-चाँदी के सिक्कों के ढेर और दीपों के प्रकाश से भर दिया। यमराज सर्प के रूप में आए, लेकिन उस दैदीप्यमान प्रकाश के कारण वापस चले गए।
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  • विधान: इसी कारण इस दिन सायंकाल में घर के मुख्य द्वार पर मृत्यु के देवता यमराज के निमित्त एक दीपक जलाया जाता है, जिसे 'यम दीपम' कहते हैं। यह परिवार की अकाल मृत्यु से रक्षा के लिए किया जाता है।

४. जैन आगम में उल्लेख

        
  • ध्यान तेरस: जैन आगम में इस तिथि को 'धन्य तेरस' या 'ध्यान तेरस' भी कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिए योग निरोध के लिए चले गए थे और दीपावली के दिन उन्हें निर्वाण प्राप्त हुआ था।


II. आध्यात्मिक एवं गूढ़ रहस्य (Spiritual and Profound Significance)

धनतेरस का महत्व केवल भौतिक धन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गहरा आध्यात्मिक संदेश देता है:

१. आरोग्य ही सबसे बड़ा धन

भगवान धन्वंतरि की पूजा हमें यह याद दिलाती है कि पहला सुख निरोगी काया है। यदि व्यक्ति स्वस्थ है, तभी वह धन कमा सकता है और जीवन जीने की कला का आनंद ले सकता है। अतः, सबसे पहले आरोग्य की कामना करनी चाहिए।

२. पात्र की तैयारी

इस दिन नए बर्तन खरीदने की परंपरा का आध्यात्मिक अर्थ यह है कि हमें अपने जीवन रूपी पात्र (कलश) को ज्ञान, अच्छे विचारों और सद्कर्मों से भरकर अमृत के समान बनाना चाहिए। यह हमें संतोष धन की ओर प्रेरित करता है।

३. प्रकाश से अंधकार पर विजय

यम दीपदान की कथा हमें यह सिखाती है कि यदि हम अपने आंतरिक घर को ज्ञान (दीपों के प्रकाश) से प्रकाशित रखें और अपने कर्मों तथा विचारों को सोने-चाँदी (पवित्रता और शीतलता) के समान शुद्ध रखें, तो हम विचलित अर्थात अशांत मन पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।

४. धन का सही उपयोग

धनतेरस इस बात पर जोर देता है कि धन केवल इकट्ठा करने के लिए नहीं है, बल्कि उसका उपयोग सद्कर्मों, परोपकार और अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए करना चाहिए, जिससे माँ लक्ष्मी प्रसन्न हों।


III. तथ्यात्मक जानकारी एवं परंपराएँ (Factual Information and Traditions)

धनतेरस के दिन कुछ विशिष्ट परंपराएँ और कार्य किए जाते हैं, जो इसे अन्य त्योहारों से अलग बनाते हैं:

१. खरीदारी का महत्व

        
  • शुभ खरीदारी: इस दिन सोना, चाँदी, ताँबा और पीतल के नए बर्तन या आभूषण खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है।
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  • अन्य वस्तुएँ: इसके अलावा, झाड़ू (जिससे घर की दरिद्रता दूर होती है), धनिया के बीज (समृद्धि का प्रतीक), और नए वस्त्र खरीदना भी शुभ माना जाता है।

२. पूजा विधि

        
  • समय: धनतेरस की पूजा मुख्य रूप से प्रदोष काल में करना अत्यंत शुभ होता है।
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  • देवता: इस दिन भगवान धन्वंतरि, माँ लक्ष्मी, भगवान कुबेर, और भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
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  • धान्यों की पूजा: इस दिन सात प्रकार के धान्यों की पूजा करने का भी विधान है।

३. दीप प्रज्वलन

        
  • आँगन में दीप: इस दिन घर के आँगन में 13 दीपक जलाए जाते हैं।
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  • यम दीप: एक दीपक घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके यमराज के लिए जलाया जाता है।

४. दान का महत्व

धनतेरस के दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है। अन्न दान और वस्त्र दान को महादान माना जाता है, जिससे घर में धन-धान्य का अंबार लगता है।


निष्कर्ष (Conclusion)

धनतेरस केवल एक खरीदारी का त्योहार नहीं है, बल्कि यह आरोग्य और समृद्धि दोनों के संतुलन का पर्व है। यह हमें सिखाता है कि भौतिक धन (लक्ष्मी) तभी सार्थक है जब हमारे पास स्वस्थ शरीर (धन्वंतरि) हो और हम अपने धन का उपयोग सद्कर्मों (कुबेर) में करें। यह दीपोत्सव का वह मंगलमय आरंभ है, जो जीवन पर प्रभाव, स्वास्थ्य और खुशहाली लाता है।

आशा है, उपरोक्त जानकारी ज्ञानवर्धक लगी होगी।
लेखक
Samajh.MyHindi

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