धनतेरस को खरीदारी का इतना ज्यादा महत्व क्यों है?
✒️ लेखक : R. F. Tembhre Views: 846 प्रकाशन: 18 Oct 2025    अद्यतन: अद्यतन नहीं किया गया

धनतेरस को खरीदारी का इतना ज्यादा महत्व क्यों है?

धनतेरस पर खरीदारी का महत्व: समृद्धि और आरोग्य का आह्वान


धनतेरस का पर्व, दीपावली के पांच दिवसीय महोत्सव का प्रथम दिवस, न केवल पूजा-पाठ के लिए बल्कि 'विशेष खरीदारी' के लिए भी प्रसिद्ध है। इस दिन नई वस्तुएँ, विशेषकर धातुएँ खरीदना एक स्थापित परंपरा है। लेकिन यह महज़ बाज़ार का प्रचलन नहीं, बल्कि इसके मूल में गहन धार्मिक, आध्यात्मिक और तथ्यात्मक आधार छिपे हुए हैं।


I. धार्मिक पक्ष (Religious Perspective)

धनतेरस पर खरीदारी के महत्व को निम्नलिखित धार्मिक मान्यताओं से बल मिलता है:

१. अमृत कलश का प्रतीक

        
  • मूल कारण : धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। यह कलश धातु का था और अमृत से भरा हुआ था।
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  • खरीदारी का महत्व: इसी घटना की स्मृति में, इस दिन नए बर्तन या धातु (जैसे पीतल, तांबा, चाँदी) खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जब आप कोई नया बर्तन घर लाते हैं, तो वह बर्तन भगवान धन्वंतरि के अमृत कलश का प्रतिनिधित्व करता है और आपके घर में आरोग्य और सौभाग्य रूपी अमृत भरता है।

२. लक्ष्मी और कुबेर का आगमन

        
  • सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह: धार्मिक मान्यता है कि धनतेरस के दिन माँ लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं। इस दिन शुभ मुहूर्त में खरीदारी करने से, खासकर धातु, लोग धन और समृद्धि के लिए अपने घर के द्वार खोलते हैं।
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  • कुबेर की कृपा: इस दिन धन के देवता कुबेर को भी प्रसन्न करने के लिए लोग सोना, चाँदी या कुबेर यंत्र खरीदते हैं। यह खरीदारी धन को १३ गुना बढ़ाने वाली मानी जाती है ('तेरस' का गुणात्मक प्रभाव)

३. यम दीपदान से संबंध

        
  • यमराज को संतुष्टि: इस कथा के अनुसार, सर्प रूपी यमराज को रोकने के लिए उसकी पत्नी ने द्वार पर सोने और चाँदी के सिक्कों का ढेर लगाया था। इन धातुओं की चमक ने यमराज को लौटा दिया।
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  • परिणाम: इसलिए इस दिन सोना, चाँदी या नए सिक्के खरीदने की परंपरा है, जो अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति और सुरक्षा का प्रतीक है।


II. आध्यात्मिक पक्ष (Spiritual Perspective)

धनतेरस पर खरीदारी का महत्व केवल धन प्राप्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक गहरा आध्यात्मिक संदेश देता है:

१. 'पात्र' की शुद्धता

नए बर्तन खरीदने का आध्यात्मिक अर्थ यह है कि व्यक्ति अपने जीवन-पात्र को बुराईयों और नकारात्मकता से खाली करके उसे सद्गुणों और ज्ञान से भरने के लिए तैयार कर रहा है। चाँदी को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है, जो मन में शीतलता, शांति और संतोष लाता है।

२. प्रकाश और ज्ञान का आह्वान 

        
  • झाड़ू का महत्व: धनतेरस पर झाड़ू खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। आध्यात्मिक रूप से, झाड़ू घर से दरिद्रता, नकारात्मकता और अज्ञान रूपी गंदगी को बाहर निकालने का प्रतीक है। जब घर साफ़ होता है, तभी माँ लक्ष्मी (सद्गुण और समृद्धि) का प्रवेश होता है।
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  • अखंडता: इस खरीदारी का सार यह है कि व्यक्ति को केवल धन के पीछे नहीं भागना चाहिए, बल्कि आरोग्य, संतोष, और ज्ञान रूपी 'अमृत' को भी प्राथमिकता देनी चाहिए।

३. निवेश का संकल्प

धनतेरस पारंपरिक रूप से बचत और निवेश की शुरुआत का दिन माना जाता है। यह एक सकारात्मक संकल्प है कि अब हम अपनी कमाई को उचित और लाभकारी चीज़ों में निवेश करेंगे, जिससे भविष्य में कर्मों का फल अच्छा मिले।


III. तथ्यात्मक पक्ष (Factual Perspective) 

खरीदारी की इस परंपरा के पीछे कुछ व्यावहारिक और तथ्यात्मक कारण भी हैं:

१. मौसम और संक्रमण से बचाव

        
  • आयुर्वेद का महत्व: कार्तिक मास (जिसमें यह पर्व आता है) वह समय होता है जब मौसम बदलता है और संक्रमण का ख़तरा अधिक होता है।
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  • धातुओं के गुण: लोग मानते थे कि तांबे और पीतल के बर्तनों में जल पीने या भोजन करने से शरीर स्वस्थ रहता है। आधुनिक विज्ञान भी इन धातुओं के जीवाणुरोधी गुणों को स्वीकार करता है। इसलिए, धनतेरस पर इन धातुओं के बर्तन खरीदना स्वास्थ्य (धन्वंतरि) के लिए एक तथ्यात्मक निवेश है।

२. आर्थिक चक्र का आरंभ

        
  • बचत और निवेश: धनतेरस पूरे वर्ष के लिए बचत और निवेश की शुरुआत का दिन माना जाता है। लोग इस शुभ दिन पर सोना या चाँदी खरीदकर वित्तीय नियोजन और संपत्ति निर्माण करते हैं।
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  • दीपावली की तैयारी: तथ्यात्मक रूप से यह दिन दीवाली की तैयारी का पहला दिन होता है। इस दिन खरीदी गई चीजें (जैसे लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियाँ, दीये, पूजन सामग्री) दीपावली की पूजा के लिए आधारशिला रखती हैं।


निष्कर्ष

धनतेरस पर खरीदारी का महत्व केवल सोना-चाँदी खरीदने की होड़ नहीं है। यह एक बहुआयामी परंपरा है जहाँ धार्मिक आस्था, आध्यात्मिक शुद्धि और तथ्यात्मक लाभ एक साथ आते हैं। यह एक शुभ संकल्प है कि व्यक्ति अपने ब्रह्मांड से प्राप्त आशीर्वाद से धन, स्वास्थ्य और विवेक रूपी तीनों रत्नों को अर्जित करे। यह वह दिन है जब एक विद्यार्थी भी अपने लिए ज्ञान और सफलता के उपकरण खरीदता है।

आशा है, उपरोक्त जानकारी ज्ञानवर्धक लगी होगी।
लेखक
Samajh.MyHindi

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