दीपक जलाने का वैज्ञानिक कारण : क्यों जलाए जाते हैं दीपावली में दीपक?
✒️ लेखक : R. F. Tembhre Views: 767 प्रकाशन: 20 Oct 2025    अद्यतन: अद्यतन नहीं किया गया

दीपक जलाने का वैज्ञानिक कारण : क्यों जलाए जाते हैं दीपावली में दीपक?

दीपदान का वैज्ञानिक कारण: क्यों जलाए जाते हैं दीपक? ✨


दीपावली (दीयों की पंक्ति) का पर्व भारत के सबसे महत्त्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस पर्व पर मिट्टी के दीये जलाना केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई वैज्ञानिक, पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी कारण भी निहित हैं। दीपदान, जो सदियों से चली आ रही प्रथा है, मनुष्य के जीवन को कई प्रकार से प्रभावित करती है।


1. वातावरण को शुद्ध करने का वैज्ञानिक आधार

दीपकों में घी या तेल, और कपास की बाती का प्रयोग किया जाता है। इनके जलने से वातावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

वायु शोधन (Air Purification): जब दीये में घी (विशेषकर गाय के घी) या तिल का तेल जलाया जाता है, तो यह धुएं के साथ एक विशिष्ट गंध उत्पन्न करता है। वैज्ञानिक शोधों के अनुसार, शुद्ध घी (Ghee) को जलाने से निकलने वाला धुआं अपने आस-पास के वातावरण में मौजूद हानिकारक जीवाणुओं (Bacteria) और विषाणुओं (Viruses) को नष्ट करने में सहायक होता है। यह एक प्राकृतिक 'एरोसोल' (Aerosol) की तरह काम करता है जो वायु को शुद्ध करता है।

सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह: दीपक की लौ से निकलने वाली ऊष्मा और प्रकाश आस-पास के क्षेत्र में एक सकारात्मक आयन वातावरण बनाती है। यह वायु की गुणवत्ता में सुधार करता है और मन को शांति प्रदान करता है।


2. कीट-पतंगों (Insects) को दूर रखने का कारण

दीपावली का त्योहार सामान्यतः कार्तिक मास की अमावस्या को आता है, जो मानसून की समाप्ति और शीत ऋतु के आगमन का समय होता है।

कीटनाशक प्रभाव: यह वह समय होता है जब वातावरण में नमी के कारण हानिकारक कीट-पतंगों, मच्छरों और सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ जाती है।

दीपक की लौ: घी या तेल के साथ कुछ प्राकृतिक सुगंधित तत्वों (जैसे कपूर या लौंग) को जलाने से उत्पन्न तीव्र प्रकाश और ऊष्मा इन कीटों को घर से दूर रखती है, जिससे संक्रामक बीमारियों के फैलने का मृत्यु का कारण खतरा कम होता है। यह एक प्रकार का प्राकृतिक कीट विकर्षक (Natural Insect Repellent) है।


3. प्रकाश चिकित्सा (Light Therapy) और नेत्र स्वास्थ्य

दीपक की लौ का हमारी आँखों और मन पर सीधा प्रभाव पड़ता है।

दृष्टि का संतुलन: कृत्रिम LED या CFL बल्बों की तुलना में दीपक की मंद, पीली और स्थिर लौ (Flame) आँखों को सुकून देती है। नेत्र चिकित्सकों के अनुसार, इस प्रकार के कोमल प्रकाश में कुछ देर बैठने से आँखों की मांसपेशियों को आराम मिलता है।

मानसिक शांति: दीपक का टिमटिमाता प्रकाश विचलित अर्थात अशांत मन को तत्काल प्रसन्नता दिलाने में मदद करता है। इसे ध्यान या योग के लिए आदर्श माना जाता है। यह ऐसे कौन से विचार हैं जो मन में उठते हैं, उनसे होने वाला तनाव कम करने और सकारात्मकता बढ़ाने में सहायक है।


4. वास्तु और ऊर्जा का संतुलन

भारतीय वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) में प्रकाश को एक महत्त्वपूर्ण तत्व माना गया है।

अंधेरे का निवारण: दीपावली अमावस्या की काली रात में मनाई जाती है, जब चंद्रमा का प्रकाश न्यूनतम होता है। ऐसे में दीपक जलाना अंधकार (नकारात्मकता) पर प्रकाश (ज्ञान, आशा) की विजय का प्रतीक है।

वातावरणीय ऊर्जा: घर के कोनों और देहली (Threshold) पर दीपक जलाना नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को सुनिश्चित करता है। इससे घर में सुख, धनतेरस और शांति का वास होता है।


5. सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारण

दीपदान का महत्त्व केवल भौतिक नहीं, बल्कि सामाजिक और मनोवैज्ञानिक भी है।

ज्ञान का प्रतीक: दीपक की लौ ज्ञान का प्रतीक है। यह हमें अज्ञानता के अंधकार से निकलकर ज्ञान के प्रकाश की ओर बढ़ने का संदेश देती है—"तमसो मा ज्योतिर्गमय।" यह एक व्यक्ति के लिए धर्म का स्वरूप भी है।

सकारात्मक मनोदशा: पूरे घर को दीपकों से सजाना एक सामूहिक उल्लास की भावना पैदा करता है, जो लोगों के मानसिक स्वास्थ्य और खुशी के स्तर को बढ़ाता है।


6. दीपावली के विशेष पर्वों से संबंधित पहलू

दीपावली केवल एक दिन का त्योहार नहीं है, यह पाँच दिनों का उत्सव है, जिसमें दीपदान और खरीदारी का विशेष महत्त्व है। इस दौरान, कई ब्रह्मांड से जुड़े और संरचनाएं सनातन धर्म की पुष्टि करने वाले अनछुए रहस्य भी छिपे हैं:


निष्कर्ष:

दीपदान की परंपरा केवल एक रस्म नहीं है, बल्कि यह भारतीय जीवनशैली का एक समग्र दृष्टिकोण है, जो हमारे स्वास्थ्य, पर्यावरण और सामाजिक-मानसिक कल्याण के लिए आवश्यक है। यह हमें सिखाता है कि किस प्रकार एक छोटा-सा दीपक भी वातावरण को शुद्ध करके और अंधकार को मिटाकर एक बड़ा बदलाव ला सकता है।

आशा है, उपरोक्त जानकारी ज्ञानवर्धक लगी होगी।
लेखक
Samajh.MyHindi

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