दीपावली और वास्तुशास्त्र का संबंध — घर की ऊर्जा को शुद्ध करने के उपाय
✒️ लेखक : R. F. Tembhre Views: 642 प्रकाशन: 20 Oct 2025    अद्यतन: अद्यतन नहीं किया गया

दीपावली और वास्तुशास्त्र का संबंध — घर की ऊर्जा को शुद्ध करने के उपाय

दीपावली और वास्तुशास्त्र का संबंध — घर की ऊर्जा को शुद्ध करने के उपाय


दीपावली, यानी दीपों का पर्व, केवल रोशनी का त्योहार नहीं है, बल्कि यह अपने साथ नई ऊर्जा, सुख-समृद्धि और सकारात्मकता का संचार भी लाता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार, यह वह समय है जब घर की दिशा और सज्जा में छोटे-छोटे बदलाव करके हम महालक्ष्मी को स्थायी रूप से अपने घर में आमंत्रित कर सकते हैं। दीपावली का हर कार्य – सफाई से लेकर दीपक जलाने का वैज्ञानिक कारण तक – घर की ऊर्जा को शुद्ध करने का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है।

1. महालक्ष्मी के आगमन के लिए वास्तु-अनुरूप तैयारी

दीपावली से पहले की गई सफाई और घर की व्यवस्था वास्तु के सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों पर आधारित होती है: सफाई और विसर्जन

कबाड़ और टूटी वस्तुओं का निष्कासन:

वास्तुशास्त्र के अनुसार, टूटी हुई वस्तुएं, बंद घड़ियां, जंग लगे लोहे का सामान और टूटा हुआ शीशा नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं और प्रगति में बाधा डालते हैं।
दीपावली से पहले इन्हें हटाना अनिवार्य है ताकि घर में सकारात्मकता के लिए जगह बन सके।

घर के हर कोने की शुद्धिकरण:

केवल सामने के हिस्से की नहीं, बल्कि स्टोर रूम, कोने और सीढ़ियों के नीचे की सफाई भी जरूरी है, क्योंकि यहाँ रुकी हुई ऊर्जा (Stagnant Energy) नकारात्मकता पैदा करती है।
सफाई के बाद पूरे घर में नमक मिले पानी का पोंछा लगाएं। समुद्री नमक नकारात्मक ऊर्जा को सोख लेता है।

मुख्य द्वार की महत्ता:

मुख्य द्वार से ही सकारात्मक ऊर्जा और माँ लक्ष्मी का आगमन होता है। इसे साफ रखें और दरवाजे पर शुभ प्रतीकों जैसे शुभ-लाभ और रंगोली को स्थान दें।
मुख्य द्वार पर ताजे फूलों की बंदनवार (विशेषकर अशोक, आम या गेंदे के पत्ते) लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। विषम संख्या में पत्तों का प्रयोग करें।


2. दीपावली पर दीपों की दिशा और वास्तु

दीप जलाना केवल परंपरा नहीं है, बल्कि यह पंच तत्वों में से एक अग्नि तत्व को जागृत करने का वास्तु उपाय है, जो नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली) पर भी किया जाता है और नकारात्मकता को जलाकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

दीपक जलाने की शुभ दिशा:

मुख्य दीपक: पूजा घर में दीपक को हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में जलाना चाहिए।
धन-समृद्धि के लिए: घर के आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में घी के 6 दीपक जलाना घर में धन की ऊर्जा को बढ़ाता है।
शांति और संतुलन के लिए: घर की पश्चिम दिशा में दीप जलाने से शांति और संतुलन बना रहता है।
बुरी शक्तियों को दूर करने के लिए: घर की दक्षिण दिशा में एक दीपक जलाना हर तरह की बुरी और नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है।
ध्यान रखें: धनतेरस को भी दीये जलाते समय शुद्ध घी का ही उपयोग करें।

दीपक रखने के महत्वपूर्ण स्थान:

पहला दीपक - घर के पूजा स्थल पर।
दूसरा दीपक - घर के मुख्य द्वार पर।
तीसरा दीपक - तुलसी के पौधे के पास (यदि घर में हो)।
चौथा दीपक - जल स्रोत (जैसे पानी की टंकी, नल) के पास।
पांचवा दीपक - घर के केंद्र या आंगन में।


3. घर की ऊर्जा शुद्ध करने के अन्य उपाय

दीपोत्सव पर किए गए कुछ विशेष उपाय घर के वातावरण को पूर्ण रूप से शुद्ध करते हैं:

कपूर और लौंग का धुआँ:

पूजा के बाद कपूर के एक टुकड़े पर दो लौंग रखकर जलाएं और इसका धुआँ पूरे घर में फैलाएँ।
कपूर की खुशबू और लौंग की शक्ति से घर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मकता बढ़ती है। विचलित अर्थात अशांत मन को तत्काल प्रसन्नता दिलाने के लिए यह उपाय भी सहायक है।

तुलसी और पवित्र जल का छिड़काव:

दीपावली के दिन सुबह सफाई के बाद पूरे घर में कच्चा दूध, केसर, हल्दी तथा गंगाजल को मिलाकर आम के पत्तों से छिड़काव करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।

रंगोली का महत्व:

रंगोली केवल सजावट नहीं है। यह सकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित करती है। इसे मुख्य द्वार पर या पूजा स्थल के पास बनाएं। रंगोली में चमकीले और खुशहाल रंगों का प्रयोग करें।

झाड़ू का स्थान और खरीदारी का महत्व:

नई झाड़ू को धन और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इसे दिवाली से पहले खरीदकर घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में छिपाकर रखें, ताकि यह किसी की नजर में न आए। धनतेरस को खरीदारी का महत्व भी वास्तु सिद्धांतों पर आधारित है।

दीपावली पर्व हमें मौका देता है कि हम अपने बाहरी और आंतरिक जीवन को वास्तु के सिद्धांतों के अनुसार व्यवस्थित कर सकें, जिससे घर में सुख-शांति और समृद्धि का स्थायी वास हो।


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आशा है, उपरोक्त जानकारी ज्ञानवर्धक लगी होगी।
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Samajh.MyHindi

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