बाल दिवस : बच्चों का पर्व, चाचा नेहरू का स्वप्न और राष्ट्र का भविष्य
✒️ लेखक : R. F. Tembhre Views: 295 प्रकाशन: 14 Nov 2025    अद्यतन: अद्यतन नहीं किया गया

बाल दिवस : बच्चों का पर्व, चाचा नेहरू का स्वप्न और राष्ट्र का भविष्य

भारत में प्रत्येक वर्ष 14 नवंबर का दिन एक विशेष उल्लास और महत्व के साथ मनाया जाता है। यह दिन न केवल बाल दिवस (Children's Day) के रूप में जाना जाता है, बल्कि यह स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती का भी प्रतीक है। नेहरू जी को बच्चों से अगाध प्रेम था, और उनकी यही आत्मीयता उन्हें बच्चों के बीच 'चाचा नेहरू' के रूप में अमर कर गई। नेहरू जी का मानना था कि बच्चे ही राष्ट्र के वास्तविक भविष्य हैं, जिनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और खुशहाली में ही देश का सही विकास निहित है। इस दिन का उद्देश्य बच्चों के अधिकारों और उनकी महत्ता के प्रति समाज में जागरूकता फैलाना है।


👨‍🏫 पंडित नेहरू और बाल प्रेम: 14 नवंबर की कहानी

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को हुआ था। वे बच्चों को "बाग के ताज़े फूल" मानते थे और उन्हें खिलखिलाते हुए देखना चाहते थे। उनका एक प्रसिद्ध कथन था: "आज के बच्चे कल का भारत बनाएंगे। जिस तरह से हम उनका पालन-पोषण करेंगे, वह देश का भविष्य तय करेगा।" नेहरू जी बच्चों के साथ समय बिताने में असीम आनंद महसूस करते थे और उनके मन की जिज्ञासाओं को शांत करने का प्रयास करते थे।

भारत में बाल दिवस मनाने की तारीख पहले 20 नवंबर (संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस) हुआ करती थी। हालांकि, 1964 में पंडित नेहरू के निधन के बाद, राष्ट्र ने उनके बच्चों के प्रति प्रेम को श्रद्धांजलि देने का निर्णय लिया। संसद में एक प्रस्ताव पारित किया गया और सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि उनके जन्मदिन, यानी 14 नवंबर को आधिकारिक तौर पर भारत में 'बाल दिवस' के रूप में मनाया जाएगा, ताकि उनकी विरासत को हमेशा जीवित रखा जा सके।


💡 बाल दिवस का व्यापक उद्देश्य: अधिकार और कर्तव्य

बाल दिवस का महत्व केवल उत्सव मनाने तक ही सीमित नहीं है। यह दिन संयुक्त राष्ट्र के बाल अधिकार कन्वेंशन (UNCRC) के सिद्धांतों को याद करने का भी अवसर है। यह दिवस हमें यह सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करता है कि भारत के प्रत्येक बच्चे को चार मूलभूत अधिकार प्राप्त हों:

1. जीने का अधिकार: स्वास्थ्य, पोषण और सुरक्षित वातावरण। 2. विकास का अधिकार: मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा, खेलकूद, और सांस्कृतिक गतिविधियों में भागीदारी। 3. संरक्षण का अधिकार: बाल श्रम, यौन शोषण, और किसी भी प्रकार के दुर्व्यवहार से मुक्ति। 4. भागीदारी का अधिकार: विचारों को व्यक्त करने और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में शामिल होने का अधिकार।

अनछुआ पहलू – संस्थागत नींव: बाल कल्याण के प्रति नेहरू जी का समर्पण केवल मौखिक नहीं था, बल्कि उन्होंने कई संस्थाओं की नींव रखी। ​उन्होंने वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए आईआईटी (IITs) और एम्स (AIIMS) जैसे शीर्ष शिक्षण संस्थानों की स्थापना को प्रोत्साहित किया। ​उन्होंने बच्चों के लिए मनोरंजक और शिक्षाप्रद फिल्में बनाने हेतु चिल्ड्रन फिल्म सोसाइटी इंडिया (CFSI) की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह उनके दूरदर्शी सोच को दर्शाता है कि बच्चों के विकास के लिए केवल किताबें ही नहीं, बल्कि मनोरंजन और कला भी आवश्यक है।


🎉 पूरे देश में समारोहों का आयोजन

14 नवंबर को स्कूलों, सरकारी कार्यालयों और विभिन्न संगठनों में बच्चों को समर्पित कार्यक्रमों की धूम रहती है। इस दिन स्कूलों में शिक्षकों द्वारा छात्रों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाटक, संगीत और खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। शिक्षक भी बच्चों की तरह तैयार होकर विभिन्न प्रस्तुतियों के माध्यम से बच्चों का मनोरंजन करते हैं।

बच्चों का भाषण और मंच: यह दिन बच्चों को मंच पर अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर देता है। वे भाषण प्रतियोगिता, वाद-विवाद, और नृत्य जैसी गतिविधियों में भाग लेते हैं। इस दिन राष्ट्रभक्ति के गीतों और राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत नाटकों के माध्यम से उनमें देशप्रेम की भावना का संचार किया जाता है।

समाज का योगदान: कई स्वयंसेवी संस्थाएँ (NGOs) और कॉर्पोरेट समूह (CSR) इस दिन विशेष रूप से वंचित बच्चों के लिए भोजन वितरण, कपड़ों और किताबों का दान, तथा मनोरंजक यात्राओं का आयोजन करते हैं। यह एक सामूहिक जिम्मेदारी का भाव पैदा करता है कि समाज का हर वर्ग बच्चों के कल्याण में भागीदार बने।


i तथ्यात्मक जानकारी का सारांश i

नेहरू जी की वेशभूषा: पंडित नेहरू हमेशा अपनी जैकेट पर एक लाल गुलाब धारण करते थे, जो न केवल उनकी सादगी बल्कि बच्चों के प्रति उनके प्रेम और आशावाद का भी प्रतीक था।

बाल श्रम के विरुद्ध आवाज़: बाल दिवस हमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 24 की याद दिलाता है, जो 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक रोज़गार में लगाने से रोकता है।

अंतर्राष्ट्रीय तुलना: दुनिया के कई देश अलग-अलग तारीखों पर बाल दिवस मनाते हैं, जैसे जापान 5 मई को और तुर्की 23 अप्रैल को। हालांकि, भारत ने अपने सबसे प्यारे नेता को सम्मानित करने के लिए 14 नवंबर को चुना।


बच्चों को चाचा नेहरू का संदेश

बाल दिवस के अवसर पर, हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम देश के हर बच्चे को एक सुरक्षित, स्वस्थ और शिक्षित बचपन प्रदान करेंगे। बच्चों को अपने सपनों को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए और हमेशा अपनी जिज्ञासा को जीवित रखना चाहिए। चाचा नेहरू का यह संदेश था कि बच्चे अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़े रहें, लेकिन साथ ही साथ दुनिया भर की ज्ञान-विज्ञान की बातों को भी ग्रहण करें। "उठो, जागो, और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए" - यह भावना हर बच्चे में होनी चाहिए। आप सभी कल के सशक्त और जिम्मेदार नागरिक हैं।

आशा है, उपरोक्त जानकारी ज्ञानवर्धक लगी होगी।
लेखक
Samajh.MyHindi

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